Sunday, September 5, 2010





शायद आज आखिरी दिन था
वो चेहरा शायद फिर कभी नज़र न आये
हाँ, ये वही चेहरा था जिसे मैं रोज़ देखती थी,
और शायद रोज़ देखना भी चाहती थी..
लेकिन ज़रूरी  तो नहीं के जो हम चाहें बिलकुल वही वो ऊपर वाला , वो भगवान् भी चाहे...
क्यूंकि वो तो हमेशा हमारे लिए हमसे कुछ बेहतर ही चाहता है,
और कभी कभी इस चाहने में हमारा दिल टूटता है
मेरा भी दिल आज टूट सा रहा था....
लेकिन दिल का क्या ही...
जैसे समझाओ  समझ जाता है....
मैंने फिर एक बार नज़र भर के उस चेहरे को देखा..
हमेशा के लिए उसकी तस्वीर अपने अन्दर बसाने  के लिए
और फिर भारी कदमो से ......
शायद क़दमों से भी ज्यादा भारी मन  से, वहां से आ गयी...
फिर कभी भी न लौटने के लिए.....

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