होली कि सुबह
जब मैं चाय पीने आँगन में आयी
तो अपनी आंखों पे एकाएक विश्वास ना कर पायी
सामनेदएखा शर्मा जी खड़े हैं
फ़ोन पे किसी से मिलने कि जिद पे अड़े हैं
मैंने पूछा शर्मा जीकया है माजरा इतनी सुबह सुबह ही कैसे लाल है आपका चेहरा?
और क्या इतने सफेद कपड़ों में ही होली खेलने जाओगे
क्या आपको लगता है कि इनमें से रंग छुड़ा पाओगे?
शर्मा जी बोले क्या बातों भाभी जी
बात तो है बस इतनि सि
कि होली कि सजावट है
पर रंगों में मिलावट है
व्यह्वार में बनावट है
और प्यार में दिखावट है
जी तो था कि गर्लफ्रेंड के लिए एक अच्छा सा तोहफा ले जाऊँ
पर क्या करें मोहतरमा मेहंगाइ से घबराहट है
बस इसीलिये हमारे मन में आज कड़वाहट है
मन से याद आया कि साफ़तओ हो जायेगी काया
पर उस रंग का क्या जो मन पे मन पे चढ़ गया
सभी रंगों का mixture था कभी, जो आज काला पद गया
कुर्ते का मेल तो vanish ले जयेगा
पर मन कि कालिख को कौन मिटा पयेगा?
मैंने कहा शर्मा जी इतना मत सोचो वरना दिमाग पे असर पड़ जयेगा
वो बोले असर तो पड़ चुका है भभिजि
गर्लफ्रेंड को बोला होली मिलने आ, तो जवाब मिला मेरा मेकअप बिगड़ जयेगा
फिर तुम ही पच्ताओगे ये किस से प्यार किया
किस घड़ी में अपना सिर ओखल में दिया
अब बताओ भभिजि अब तो हुस्न भी छलावा है
किसी जमाने में सच था, अब तो मेकअप का दिखावा है
मैंने बोला शर्मा जी क्यूँ बातों में वक्त गवांते हो?
दोस्तों के साथ होली खेलने क्यूँ नही जाते हो?
शर्मा जी ने जवाब दिया
आपको क्या लगता है कि दोस्त सुगंधित् अबीर गुलाल लायेंगे?
अरे अगर इन साफ़ सफेद कपड़ों में देख् लिया
तो सीधे कीचड़ में नेह्लायेंगे
चलो कीचड़ में महकार अपनी मिटाटी कि महक तो आएगी
वरना आजकल रंगों का क्या भरोसा पूरी खाल ही जल जायेगी
शर्मा जी कि बातें सुनकर
इतना तो समझ आ गया
कि होली का त्यौहार उन्हें बहुत कुछ समझा गया
कश कभी ऐसी भी होली आती
जो थोड़ी समझदारी देश के नेताओ में भी भर जाती
अगर येहि समझदारी का रंग उन पे भी चढ़ जाता
तो देश हमारा भी नया इतिहास गड़ जाता.......